Thursday, September 1, 2011

सूफ़ी मत का महान केन्द्र : श्री रामाश्रम श्यामनगर

कानपुर- फ़र्रुखाबाद रोड पर काली नदी के सुरम्य पूर्वी तट पर बसा रामाश्रम सूफ़ी संत मत का एक प्रमुखः केन्द्र है। आज विश्व विख्यात रामाश्रम श्यामनगर की स्थापना महान सूफ़ी संत श्री राम सिंहः राणा जी साहब ने की थी। मूलतः रामाश्रम सूफ़ी मत की नक़्शबन्दिआ परम्परा पर आधारित है। रामाश्रम सतसंग का मूल सिद्धान्त आस्था और संस्कृतियों का मिलन है , जो कि उस निराकार परमात्मा की प्राप्ति के लिये दुनिआ को त्यागने या एकान्त प्राप्ति के लिये पहाड या वन मे जाने की आवश्यकता नही है।वरन रामाश्रम सत्संग ग्रहस्थ जीवन का पालन करते हुए समर्थ् सदगुरु की मदद से ईश्वर् प्राप्ति का मार्ग बताता है। इस सिद्धान्त को आगे करते हुए श्री राणाजी साहब् ने रामाश्रम श्यामनगर को अपनी कर्म स्थली के रूप मे चुना और जीवन पर्यन्त मानव मात्र की सेवा मे लगे रहे। पूज्य राणा जी साहब् ने परमार्थ् के प्रति अपनी सोच को अत्यधिक प्रभावशाली तरीके से व्यक्त किया जिसने आपको एक महान सूफ़ी संत के रूप मे गौरवान्वित किया।पूज्य राणाजी साहब् जी ने २० जून २०१० को १०२ वर्ष की आयु मे महा समाधि ले ली। राणा जी साहब् का समाधि मन्दिर श्री रामाश्रम मे बना हुआ है जो कि आज समस्त भारत वर्ष एवं विदेशों मे उनके अनुयायियों के बीच गहन श्रद्धा का केन्द्र है।राणा जी साहब् का समाधि मन्दिर एक बडे प्रागन के मध्य मे स्थित है।जहां आने वाले हर श्रद्धालु को एक अनिर्वचनीय आनन्द एवं शान्ति की प्राप्ति होती है।समाधि के साथ् मे लगा हुआ भवन् बना हुआ है, जो कि जीवन पर्यन्त श्री राणा जी का निवास् स्थान रहा है और श्रद्धालु साधकों के मध्य श्री राणा जी निवास् के नाम से लोकप्रिय है।श्री राणा जी निवास् मे साधकों के आवास, भोजन एवं अन्य आवश्यक सुविधायें उपलब्ध रहती हैं और देश विदेश के श्रद्धालु एवं साधक इस दिव्य स्थान पर आकर दिव्य आनन्द एवं गुरु कृपा से लाभान्वित होते हैं।